
बिलासपुर। बिलासपुर के लालखदान क्षेत्र में हुए भीषण मेमू ट्रेन हादसे को लेकर जांच में सनसनीखेज तथ्य सामने आने लगे हैं। कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी द्वारा तैयार की गई प्रारंभिक जांच रिपोर्ट दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे को सौंप दी गई है। हालांकि रिपोर्ट को गोपनीय रखा गया है, लेकिन जांच से जुड़े सूत्रों का दावा है कि इसमें हादसे के लिए रेलवे प्रशासन की गंभीर लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया गया है। प्रारंभिक निष्कर्षों के अनुसार मेमू ट्रेन की कमान एक ऐसे लोको पायलट को सौंपी गई थी, जो न तो पूर्ण रूप से प्रशिक्षित था और न ही उसने साइकोलॉजिकल टेस्ट पास किया था।

चार नवंबर को कोरबा से बिलासपुर आ रही मेमू पैसेंजर ट्रेन लालखदान के पास मालगाड़ी से टकरा गई थी। इस हादसे में 14 यात्रियों की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि 20 से अधिक यात्री घायल हो गए थे। टक्कर इतनी भीषण थी कि रेलवे को भी भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा। घटना के बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए CRS को 180 दिनों की समय-सीमा में जांच सौंपने का निर्णय लिया गया था। जांच के दौरान CRS ने घायलों के बयान दर्ज किए, तकनीकी पहलुओं की पड़ताल की और रेलवे के संबंधित अधिकारियों से भी विस्तृत पूछताछ की। हादसे के लगभग एक महीने बाद प्रारंभिक रिपोर्ट भेजे जाने के साथ ही रेलवे महकमे में हलचल तेज हो गई है। सूत्रों के अनुसार रिपोर्ट में यह स्पष्ट संकेत हैं कि यदि प्रारंभिक निष्कर्षों की पुष्टि अंतिम रिपोर्ट में होती है, तो संबंधित अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई हो सकती है।
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि प्रारंभिक रिपोर्ट केवल तथ्यों और बिंदुओं को चिन्हित करने के लिए होती है। इसके आधार पर स्पष्टीकरण और क्वेरी की प्रक्रिया अपनाई जाती है। CRS की अंतिम रिपोर्ट आने के बाद ही हादसे के वास्तविक कारणों और दोषियों की जिम्मेदारी तय होगी। फिलहाल पूरा महकमा फाइनल रिपोर्ट का इंतजार कर रहा है, जिसने इस दर्दनाक हादसे की सच्चाई पूरी तरह सामने आने की उम्मीदें बढ़ा दी हैं।
क्या कहती है प्रारंभिक जांच की चर्चा
सूत्रों के मुताबिक प्रारंभिक रिपोर्ट में मेमू ट्रेन के संचालन से जुड़ी मानवीय चूक और प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल उठाए गए हैं। अप्रशिक्षित लोको पायलट, साइको टेस्ट की अनदेखी और निगरानी में कमी जैसे बिंदुओं को गंभीर माना गया है। अंतिम रिपोर्ट के बाद ही यह तय होगा कि किन स्तरों पर कार्रवाई की जाएगी।



